मुंबई. देश में 25 जून 1975 को आपातकाल लगा था। इसके 43 साल पूरे होने पर भाजपा ने मंगलवार को मुंबई में ‘आपातकाल : लोकतंत्र पर आघात’ विषय पर कार्यक्रम रखा। इसमें बतौर मुख्य वक्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “जब भी कांग्रेस को कुर्सी जाने का डर होता है, वह देश में डर का माहौल बनाना शुरू कर देती है। इनके नेता ये कहना शुरू कर देते हैं कि देश तबाह हो रहा है और देश को हमीं बचा सकते हैं। इनके लिए मूल्य, परंपराएं, देश, संविधान कुछ मायने नहीं रखता। मोदी ने कहा- “कांग्रेस की आलोचना मात्र करने के लिए हम काला दिन नहीं मनाते। हम देश और भावी पीढ़ी को जागरूक करना चाहते हैं। हम स्वयं को भी संविधान के प्रति समर्पित रखने के लिए इसे याद करते हैं।” आपातकाल 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने के लिए लगाया गया था। नागरिक अधिकारों को खत्म कर दिया गया था। इसका विरोध करने वालों को कैद कर लिया जाता था।
आपातकाल का ऐसा उदाहरण कहीं नहीं मिल सकता: मोदी ने कहा- “लोकतंत्र के प्रति समर्पण को बार-बार याद करना चाहिए। ये अपने आप में संस्कार है। आज की पीढ़ी को पूछा जाए कि आपातकाल कैसा था? वो उस बारे में ज्यादा नहीं बता पाएगा। दरअसल प्यासे को पता होता है कि पानी न मिलने की तड़पन कैसी होती है। देश ने कभी सोचा तक नहीं था कि सत्ता सुख और परिवार की भक्ति के प्रति समर्पित लोग देश को सलाखों में बंद कर देंगे। लोगों को बताया जाता था कि तुम्हारा नाम मीसा में है और जल्द ही दरवाजे पर पुलिस आने वाली है। संविधान का दुरुपयोग कैसे किया जा सकता है, ऐसा उदाहरण ही कहीं मिले।”
वे दुनिया को मोदी के नाम से डरा रहे हैं:मोदी ने कहा: “वो कहते हैं कि दलित संकट में है। ये भय पैदा किया जा रहा है। दो दोस्तों के बीच में झगड़ा होता है तो उसे भी गलत तरीके से पेश किया जाता है। उनके गाने-बजाने वाले इसमें अहम भूमिका निभाते हैं। जिन्होंने भय का माहौल बनाया, वो दुनिया को मोदी के नाम से डरा रहे हैं। अगर इस देश को चलाना है तो संविधान ही रास्ता हो सकता है। हमारी कोशिश होती है कि संविधान के प्रति लोगों में सम्मान का भाव पनपे।”